tulsi ki kheti - कुछ अलग करो, तुरंत 🤑 सफलता 🤑 मिलेगी

हर तरह से हारे जुए राजेश जी पास रिक्शा चलाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प बचा ही नहीं था। जो कि उन्हें पिता द्वारा विरासत में मिला था। लेकिन कोरोना काल के लॉकडाउन ने जहाँ उनसे जीने का ये ज़रिया भी चीन लिया था वहीँ एक नया काम शुरू करने के बारे में सोचने को मजबूर भी कर दिया था। मोबाइल पर ब्राउज़िंग करते-करते दिखे एक आर्टिकल ने उनकी ज़िन्दगी पूरी तरह से बदल दी थी। जिसमें लिखा था कि तुलसी का बिज़नेस करके आप लाखों रूपए कमा सकते हैं। राजेश जी ने उस पूरे आर्टिकल को ध्यान से पढ़कर वही काम करने का मन बना लिया था। क्योंकि इसे शुरू करने में न के बराबर लागत लगनी थी। आज हम इसी बारे में यानि tulsi ki kheti करके लाखों रूपए कैसे कमाए जा सकते हैं के बारे में बात करने वाले हैं।

tulsi ki kheti

 

tulsi ki kheti

आज हम tulsi ki kheti करके लाखों रूपए कैसे कमाए जा सकते हैं के बारे में बात करने वाले हैं। जिसे शुरू करके आप भी लाखों रूपए कमा सकते हैं।

बिज़नेस आईडिया

राजेश जी के पास फार्मिंग करने के लिए कोई ज़मीन नहीं थी। करीब 800 स्क्वायर फ़ीट की ज़मीन जिस पर नींव भरवाकर भविष्य में मकान बनवाने के लिए छोड़ राखी थी उसी पर राजेश जी ने तुलसी की खेती करने का प्लान बना लिया था। तुलसी के औषधीय गुणों के बारे में तो सभी को पता है मगर शायद ही आप जानते हों कि इसकी डिमांड और सप्लाई में बहुत बड़ा गैप है। यानि इसकी माँग के हिसाब से इसकी ऊपज बहुत ही कम है। और इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हम इंडियंस ट्रैंड से हटकर कोई काम करना ही नहीं चाहते। और राजेश जी की सफलता का एक सबसे बड़ा कारण यह भी है कि उन्होंने लीक से हटकर इस काम को करना शुरू किया था। और आज 2 बड़ी आयुर्वेदिक कम्पनीज़ के साथ इनका टाई-अप है।


इन्हें अपनी तैयार की गई तुलसी को मार्केट में ले जाकर बेचने की ज़रुरत नहीं पड़ती है। बल्कि कम्पनीज़ खुद गाड़ी भिजवाकर इनके खेत से तुलसी की जड़, तना, पत्तियाँ व बीज को ले जाती हैं। राजेश जी के तुलसी के बिज़नेस में सफल होने के कुछ और कारण भी हैं जैसे इसकी फार्मिंग में लागत बहुत कम आती है। एक एकड़ में करीब 30 से 50 ग्राम ही बीज लगता है जिसकी कीमत लगभग 200 रूपए के आसपास होती है। इसमें किसी भी तरह के कीड़े-मकोड़े भी नहीं लगते हैं। जिस वजह से इसमें किसी कीटनाशक की भी आवश्यकता नहीं होती है। और न ही किसी तरह के केमिकलस व फ़र्टिलाइज़रस की ज़रुरत पड़ती है। इसमें बस ऑर्गेनिक खाद वगैरा ही लगते हैं और इनकी ज़रुरत भी बहुत काम मात्रा में ही होती है। इस खेती को करने के लिए किसी भी तरह की फैंसिंग की भी ज़रुरत नहीं पड़ती है यानि आपको बाड़ें लगवाने की भी ज़रुरत नहीं है क्योंकि इस तरह की खेती को कोई भी जानवर नहीं खाता है।

इस खेती को करने का एक बड़ा फायदा यह भी है कि इसे एक बार लगाकर आसानी से 4 बार काटा जा सकता है। ये 3 महीने में तैयार हो जाती है यानि कि एक साल में यह खेती आपको 4 बार पैसे देकर जाती है।

लागत

एक एकड़ में खेती करने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा 10 हज़ार रूपए का खर्चा आता है। वहीँ अगर इसकी सेल की बात करें तो इसकी जड़, तना, पत्तियाँ, बीज व तेल मिलाकर करीब 2 लाख रूपए में बिक जाते हैं। यानि इसमें बहुत अच्छी कमाई होती है। और यह हर तरह की जलवायु और हर तरह की मिट्टी में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है। बहुत अधिक डिमांड होने की वजह से इसे बेचने में भी किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है। आप सीधे मार्केट या मंडी में बेचकर भी इसका अच्छा रेट पा सकते हैं। या अगर आप इतनी समस्या नहीं लेना चाहते हैं तो आप डाबर, वैद्यनाथ या फिर पतंजलि जैसी आयुर्वेदिक कम्पनीज़ के साथ टाई-अप करके इसकी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग भी कर सकते हैं। इन कम्पनीज़ के पास तुलसी की बहुत ज़्यादा खपत होती है। जिसकी वजह से ये कम्पनीज़ आपसे कॉन्ट्रैक्ट पर खेती करवाती है। यानि ये कम्पनीज़ हर बार आपकी फसल के तैयार होने से पहले ही आपको आपकी फसल के पैसे दे देती हैं और अपने हिसाब से इनकी कटाई करवाके इसके उत्पाद बनाएँगी।

इन कम्पनीज़ को तुलसी की जड़, तना, पत्तियाँ, बीज व तेल सब की ज़रुरत पड़ती है। विभिन्न प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियाँ बनाने जैसे शुगर, त्वचा सम्बन्धी रोग, बुखार, पाचन समस्या, मलेरिया, डेंगू, इम्युनिटी बूस्टर, रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए, टूथपेस्ट बनाने व टूथ पाउडर बनाने आदि में इनका उपयोग होता है राजेश जी की स्टोरी पर अगर वापस आएँ तो उन्होंने शुरू में ट्रायल बेसिस पर अपनी 800 स्क्वायर फ़ीट की ज़मीन पर न के बराबर लागत लगाकर इस काम को शुरू किया था जिससे उन्हें करीब 10 हज़ार रूपए का मुनाफ़ा प्राप्त हुआ था जिससे उनका हौंसला बढ़ा और आगे भी लीज़ पर खेत लेकर अपने इस काम को आगे बढ़ाते गए। और आज आलम ये है कि इस साल उन्होंने कुल 7 हेक्टेयर ज़मीन लीज़ पर लेकर तुलसी की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की है। जिससे कम्पनीज़ ने उन्हें इस साल कुल 32 लाख रूपए दिए।

निष्कर्ष

इस लेख में हमने tulsi ki kheti के बिज़नेस के बारे में जाना है। और हमने देखा है कि कैसे राजेश जी ने अपनी ज़िन्दगी में बदलाव लाने के लिए एक नया और सकारात्मक कदम उठाया है। उन्होंने तुलसी की खेती करके एक बिज़नेस की शुरुआत की जिसमें उन्हें अब लाखों रूपए की कमाई होती है। इसके अलावा उन्होंने हमें यह भी सिखाया है कि सकारात्मकता और कोशिश से हम किसी भी समस्या को पार कर सकते हैं। इन्होनें हमें सिखाया है कि ज़िन्दगी में उतार-चढ़ाव का आना तो चलता रहता है लेकिन उसे कैसे नज़रिये से देखना है ये पूरी तरह से हमारे हाथ में होता है। इसलिए हमें अलग-अलग दिशाओं में आगे बढ़ने का हौंसला बनाए रखना चाहिए। इस लेख से हमें यह भी सीखने को मिलता है कि सिर्फ सपने देखने से नहीं बल्कि संघर्ष करके पूरे किए जा सकते हैं। इस लेख में हमने यह अच्छी तरह से बताया है कि राजेश जी ने कैसे अपनी वह ज़मीन जिस पर मकान बनाने वाले थे उसी से अपने बिज़नेस की शुरुआत की। अगर आप यह पूरा लेख पढ़ते हैं तो आप भी इस बिज़नेस को समझकर बड़ी ही तेज़ी से आगे बढ़ सकते हैं।

तो हमने इस लेख में आपको एक बहुत ही अच्छे बिज़नेस के बारे में बताया है अगर आप में भी जज़्बा है लीक से हटकर कुछ काम करने का तो इस काम पर ज़रूर विचार कीजिएगा। शुभकामनाओं के साथ मिलते हैं अगले लेख में।

धन्यवाद।

FAQ

Ques 1- राजेश जी ने किस तरह के बिज़नेस को शुरू किया था?

Ans- राजेश जी ने तुलसी की खेती के बिज़नेस को शुरू किया था।

Ques 2- तुलसी की खेती के लिए उन्होंने कितनी ज़मीन ली और उसे कितना लाभ हुआ?

Ans- राजेश जी के पास से पहले से ही पड़ी हुए ज़मीन जो कि 800 स्क्वायर फ़ीट की थी उसी पर तुलसी की खेती की। ऐसा करने से उन्हें करीब 10 हज़ार रूपए का मुनाफा हुआ।

Ques 3- तुलसी की खेती में कौन-कौन से फायदे होते हैं?

Ans- यह खेती एक बार करने के बाद 4 बार काटी जा सकती है। और न ही किसी कीटनाशक की आवश्यकता होती है और लागत भी बहुत कम आती है।

Ques 4- तुलसी की खेती की लागत कितनी होती है और उसका कितना बिक्री में मिलता है?

Ans- अगर आप एक एकड़ ज़मीन पर तुलसी की खेती करते हैं तो इसमें करीब 10 हज़ार रूपए की लागत आएगी। और इसकी बिक्री 2 लाख रूपए में होगी।

Ques 5- राजेश जी के तुलसी की खेती में कौन-कौन से कम्पनियाँ साथ टाई-अप कर चुकी हैं?

Ans- राजेश जी के साथ डाबर, वैद्यनाथ और पतंजलि जैसी आयुर्वेदिक कम्पनियाँ टाई-अप कर चुकी हैं।

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